Sunday, May 3, 2020

यह तुम ही हो ( Ebook )




यह तुम ही हो प्रेमपरक कविताओं का संग्रह है, साथ ही इसमें प्रेरक कवितायें भी शामिल है।
किशोर मन में प्रेम की प्रथम अनुभूति उसके हृदय में सुन्दर स्वप्नों की सृष्टि ही नहीं करती,अपितु उस प्रेम पात्र की प्राप्ति हेतु उसमें अदम्य साहस और उत्साह भी भर देती है, जिसके वशीभूत होकर वह सृष्टि की बडी से बडी बाधा को भी चींटियों के दल की भांति रौंदता हुआ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहता है।
इस प्रकार प्रेम और कर्म साथ  - साथ चलते हैं। प्रेम के माध्यम से वह अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है और प्रेम पात्र की प्राप्ति के लिये उसी प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करता है।
यह पुस्तक प्रेम की गहन अनुभूतियों को भावातिरेक और सुन्दरता से चित्रित करती है।


यह तुम ही हो ( Paperback )




यह तुम ही हो प्रेमपरक कविताओं का संग्रह है, साथ ही इसमें प्रेरक कवितायें भी शामिल है।
किशोर मन में प्रेम की प्रथम अनुभूति उसके हृदय में सुन्दर स्वप्नों की सृष्टि ही नहीं करती,अपितु उस प्रेम पात्र की प्राप्ति हेतु उसमें अदम्य साहस और उत्साह भी भर देती है, जिसके वशीभूत होकर वह सृष्टि की बडी से बडी बाधा को भी चींटियों के दल की भांति रौंदता हुआ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहता है।
इस प्रकार प्रेम और कर्म साथ  - साथ चलते हैं। प्रेम के माध्यम से वह अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है और प्रेम पात्र की प्राप्ति के लिये उसी प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करता है।
यह पुस्तक प्रेम की गहन अनुभूतियों को भावातिरेक और सुन्दरता से चित्रित करती है।


                             

Saturday, May 2, 2020

हिप्नोटाइज थ्रिलर ( Ebook )






दौलतमंद आदमी को न तो दोस्तों की कमी होती है , न मददगारों की। दौलतमंद आदमी के हजार दोस्त होते हैं। लेकिन सच्ची दोस्ती की परख तब होती है , जब जान जोखिम में हो और जेब में फूटी कौड़ी तक न हो। अमर की तो न जान जोखिम में थी , न जेबें रुपयों से खाली। शायद इसीलिये दोस्तों की परख में उसे सिर्फ और सिर्फ नाकामी हासिल हुई। दौलतमंद होते हुए भी अमर को पूरा भरोसा था कि उसके दोस्त सच्चे थे , वे सिर्फ दौलत की वजह से उसके साथ नहीं थे। लेकिन वक्त और हालात के साथ परिस्थितियां बदली और साबित हो गया कि उसके दोस्त सिर्फ दौलत की वजह से उसके साथ थे। बस , दोस्ती में टूटकर अमर ने खुद को नशे में डूबो दिया और तबाही की ओर बढा दिये अपने कदम। दौलत , दोस्ती , फर्ज और परोपकार के मिले जुले रंग लिये हुए रहस्य , रोमांच और सस्पेंस से भरपूर थ्रिलर !

Thursday, February 13, 2020

हिप्नोटाइज थ्रिलर ( Paperback )



दौलतमंद आदमी को न तो दोस्तों की कमी होती है , न मददगारों की। दौलतमंद आदमी के हजार दोस्त होते हैं। लेकिन सच्ची दोस्ती की परख तब होती है , जब जान जोखिम में हो और जेब में फूटी कौड़ी तक न हो। अमर की तो न जान जोखिम में थी , न जेबें रुपयों से खाली। शायद इसीलिये दोस्तों की परख में उसे सिर्फ और सिर्फ नाकामी हासिल हुई। दौलतमंद होते हुए भी अमर को पूरा भरोसा था कि उसके दोस्त सच्चे थे , वे सिर्फ दौलत की वजह से उसके साथ नहीं थे। लेकिन वक्त और हालात के साथ परिस्थितियां बदली और साबित हो गया कि उसके दोस्त सिर्फ दौलत की वजह से उसके साथ थे। बस , दोस्ती में टूटकर अमर ने खुद को नशे में डूबो दिया और तबाही की ओर बढा दिये अपने कदम। दौलत , दोस्ती , फर्ज और परोपकार के मिले जुले रंग लिये हुए रहस्य , रोमांच और सस्पेंस से भरपूर थ्रिलर !